मुर्गेश शेट्टी,बीजापुर । भोपालपटनम नगर में नवरात्रि एवं दशहरा बतुकम्मा का त्यौहार बड़े ही हरषोउल्लास एवं भक्ति श्रद्धा के साथ मनाया गया ।भोपालपटनम के नवदुर्गा समिति एवं शारदा उत्सव समिति के नव युवकों के द्वारा क्लब प्रांगण में मां नवदुर्गा समिति के द्वारा मां दुर्गा जी का स्थापना किया गया। और स्थानीय शिव मंदिर के प्रांगण में विद्या की आराध्य देवी मां शारदा का स्थापना कर बड़े ही भक्ति श्रद्धा पूर्वक नवरात्रि का भव्य पर्व मनाया गया।
जिसके लिए नवयुवकों के द्वारा सभी पंडालों को बड़े ही सुंदर ढंग से टिमटिमाती रोशनी एवं तरह-तरह के फूलों से सजाया जाता है, इस नवरात्रि के पावन पर्व के साथ साथ भोपालपटनम क्षेत्र में दक्षिण भारत आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य का संस्कृत झलकता दिखाई देता है क्योंकि यह दोनों राज्यों से प्राचीन समय से इस क्षेत्र में रोटी बेटी का नाता है, जिससे की वहा की संस्कृति आदान प्रदान है ।वह यह है की बतुकम्मा अर्थात मां गौरी का स्थापना कर नौ दिनों तक पूजा अर्चना कर सुहागिन महिलाएं बड़े ही भक्ति श्रद्धा के साथ बतुकम्म खेलते हैं ।मां दुर्गा पंडाल एवं मां शारदा पंडाल के बाजू से एक तुलसी का चबूतरा का स्थापना कर येंगिली फूला अमावस्या के दिन से यह बतुकम्मा का उत्सव मनाया जाता है।
जिसके लिए महिलाएं रंगबी रंगे तरह-तरह के फूलों को इकट्ठा कर उन फूलों को गूंथ कर गोल एक बड़ी सी थाली में गोलाकार रूप में बतुकम्मा को बनाया जाता है ।और सबसे ऊपर में मां गौरी का स्थापना कर पूजा अर्चना कर संध्या काल में सभी सुहागिन महिलाएं बतुकम्मा को इस तुलसी चबूतरा के पास रखकर मां गौरी जी का गीतों का गायन करते हुए चबूतरे के चारों ओर परिक्रमा करते हैं ।मां दुर्गा जी का नौ रूपों की पूजा की तरह माता गौरी जी का भी नवरात्रि नव दिन तक इस प्रकार का आयोजन होता है ।इस बीच अलीगिना बतु कम्मा के नाम से (अर्यम्)अर्थात उसे दिन बतुकम्मा को नहीं बनाया जाता है और खेला भी नहीं जाता है, अंतिम दिन को सद्दूला बतुकम्मा कहा जाता है ।
उस दिन सभी सुहागिन महिलाएं सुबह से ही उपवास रहकर तरह-तरह के फूलों को एकत्रित कर प्रतियोगिता के समान बड़े से बड़े बतुकम्मा बनाते हैं, और नौ माता के लिए नव प्रकार का प्रसाद बनाया जाता है, जिसके लिए सुहागिन महिलाएं फूलों से सुंदर आकार का बहुत बड़ा से बड़ा बतूकम्मा बनाकर उसके ऊपर माता गौरी जी को हल्दी चंदन कुमकुम के साथ बनाकर स्थापना कर भक्ती श्रध्दा के साथ पूजाअर्चना कर बतुकम्मा को संध्या काल में बाजे गाजे के साथ तुलसी चबूतरा के पास रखकर मां गौरी का भक्ति गीतों का गायन एवम नृत्य करते हुए उसके चारों ओर परिक्रमा करते हैं ।
साथ ही साथ सभी सुहागिन महिलाएं कन्याएं विभिन्न प्रदेशों का परिधान धारण कर बहुत ही सुन्दर गरबा नृत्य करते हैं। जो अत्यन्त मनमोहक होता है।तत्पश्चात रात में माता गौरी के लिए बनाया गया प्रसाद सद्दुलू प्रसाद को चढ़कर पूजा अर्चना कर बाजा गाजा के साथ बतुकम्मा को तालाब य नदी में विसर्जन किया जाता है ।और नौ प्रकार के प्रसाद को वितरण किया जाता है।यह त्यौहार सुहगीन महिलाओं के लिए नव दिनो तक विशेष खुशी और उत्साह का त्यौहार है । माता गौरी जी की पूजा से सभी सुहागिन महिलाएं अपने सुहागन एवम सुख समृद्धि की माता जी कामना करते है।
विजयदशमी की सुबह के दिन मां दुर्गा और सरस्वती की मूर्तियों को वाहनों को सजावट उन वाहनों में माताओं को बैठाकर बाजा गाजा के साथ भक्तिजनों के नृत्य के साथ नगर भ्रमण किया जाता है। नगरवासी माताओं का दर्शन करते हैं।तत्पश्चात तीमेड इंद्रावती नदी में मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।इस दरमियान पूरा नगर के गली-गली एवम पूरा क्षेत्र में पूर्ण रूप से भक्तिमय वातावरण बना रहता है । शाम को दशहरा त्योहार की तैयारी हेतु स्थानीय मिनी स्टेडियम मैदान में रावण दहन के लिए तैयारी किया जाता है,मिनी स्टेडियम मैदान में नवयुवकों के द्वारा रावण का एक विशाल पुतला बनाया जाता है ।
और शाम के समय नगर के सभी व्यापारी गण गणमान्य नागरिक नागरिक बच्चे बड़े महिला पुरुष बाजे गाजे एवम अतिशिबाजी के साथ रावण दहन के लिए निकलते हैं ।और मैदान में स्थित रावण का दहन कर पुरोहित के द्वारा सोनापत्ता वृक्ष का पूजा अर्चना कर आसपास रखे हुए सोना पत्ता लेकर एक दूसरे से गले मिलकर शुभकामनाएं देते हैं । यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत,असत्य पर सत्य की जीत का संदेश देता है यह त्यौहार भोपालपटनम के आसपास क्षेत्र गांव में भी बड़े ही श्रद्धा भक्ति भाईचारा आपसी सौहाद्र के साथ मनाया जाता है।
भोपालपटनम से 17 किलोमीटर दूर पर मां भद्रकाली का शक्तिपीठ मंदिर विद्यमान है नवरात्रि के दिनों में इस भव्य मंदिर में हजारों भक्तगण दर्शन करने मां का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं, इस दरमियान भद्रकाली मंदिर समिति की ओर से 9 दिनों तक निशुल्क भोजन की व्यवस्था किया जाता है, दशहरा के दिन भद्रकाली में रामलीला आयोजन के साथ रावण दहन कर दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।