जगदलपुर । लोहंडीगुड़ा ब्लाक के ग्राम कस्तूरपाल में आज माडिया करटामी समाज के गांव के संस्कृति रूढ़ी प्रथा रीति रिवाज छोड़कर विगत 5 वर्ष से ईसाई धर्म के अनुयायी होकर ,ईसाई धर्म का पालन कर रहा था ।
हिंदू संगठनों और बस्तर संस्कृति सुरक्षा मंच के प्रयासों आज ग्राम कस्तूरपाल के तीन पारा के 10 परिवार के 60 सदस्यों ने आज मूल संस्कृति सनातन धर्म में घर वापसी की ।
इस दौरान गांव के पुजारी,पटेल,मांझी, चालकी, कोटवार और सरपंच सहित गांव के देवी,देवताओं को साक्षी मानकर बस्तर मूल धर्म में घर वापसी करवाई।
बस्तर में इतने बड़े पैमाने पर घर वापसी का ये पहला मामला है ,हालांकि आदिवासियों में धर्मांतरण रोकने बस्तर संस्कृति सुरक्षा मंच के तत्वधान में लगातार गांव गांव में जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है ,विगत दिनों नारायणपुर से दंतेवाड़ा तक यात्रा भी बस्तर संस्कृति सुरक्षा मंच के माध्यम से निकाली गई थी ।
इस विषय में बस्तर संस्कृति सुरक्षा मंच के संभाग सयोजक महेश कश्यप का कहना है कि मिशनरियों और उसके इशारे पर कार्य कर रहे कुछ तथाकथित आदिवासी संगठन के नेता लगातार धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी समाज में उनके हिंदू न होने का भ्रम पैदा कर रहें हैं और इसी आधार पर आदिवासी संस्कृति पर कुठाराघात करते हुए धर्मांतरण को बढ़ावा दे रहे हैं ।
महेश कश्यप ने कहा कि बस्तर संस्कृति सुरक्षा मंच के माध्यम से वह लगातार गांव गांव जाकर जनजागरण कर रहे हैं ,और यह अभियान बस्तर से धर्मांतरण पूरी तरह खत्म होने तक जारी रहेगा ।
आज इसी अभियान के तहत 10 परिवारों के 60 लोगों की सनातन धर्म में वापसी करवाई गई है।
इस घर वापसी कार्यक्रम के दौरान बस्तर संस्कृति सुरक्षा मंच के सह संयोजक देवेंद्र कश्यप सदस्य कमलेश विश्वकर्मा ,कमलू करटामी, ताती पोयम नरेश करटामी सहित ग्राम वासी उपस्थित थे।