जगदलपुर। बुधवार देर शाम गणेश विसर्जन की शोभायात्रा यात्रा के मार्ग परिवर्तन को लेकर दो से गणेश समितियों ,और पुलिस प्रशासन के बीच जमकर झूमाझटकी और बहसबाजी हुई ।
मामला शुरू हुआ जब पहली गणेश समिति को पुलिस ने मुख्य मार्ग से शोभायात्रा ले जाने से रोका ,इस दौरान पुलिस के आला अधिकारियों और समिति के सदस्यों के बीच जमकर बहस हुई ।
दरअसल गणेश विसर्जन ने के लिये समितियां शोभायात्रा को स्टेट बैंक चौक से मुख्य मार्ग होते हुये ले जाना चाहती थी ,जैसा कि प्रतिवर्ष होता रहा है ,परंतु ईद के चलते मुस्लिम पक्ष ने बुधवार सबुह ही मिताली चौक से स्टेट बैंक चौक तक साज सज्जा करते हुये गेटनुमा स्वागत द्वार बना दिया ।
स्वागत की ऊंचाई काफी कम होने की वजह से डीजे के साथ इस मार्ग पर शोभायात्रा का गुजर पाना सम्भव नहीं था ।और पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा का हवाला देते हुये समितियों को मुख्य मार्ग से शोभायात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी जिससे तनाव की स्थिति निर्मित हो गई ।
हालांकि कलेक्ट्रेट में हुई शांति समिति की बैठक में भी ये विषय उठा था ,जिस पर मुस्लिम पक्ष ने गुरुवार यानि आज दोपहर तक गेट को हटा लेने की बात कही थी।
परन्तु प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं गया कि गुरुवार और पंचक लगने की वजह से कई समितियां अंनत चतुर्दशी से पहले ही गणेश विसर्जन करती हैं । चूंकि अधिकांश गणेश समिति विसर्जन को लेकर काफी भव्य तैयारियां करती हैं और काफी महंगे डीजे और संगीत ग्रुप को लेकर आती हैं,ताकि आम जनता उनकी झांकी देख सके और उन्हें शोभायात्रा मार्ग परिवर्तन की जानकारी नहीं दी गई थी, जिस तर्क के साथ पुलिस प्रशासन मार्ग परिवर्तन की बात कह रहा था वो भी समितियों के गले नहीं उतर रही थी और मामला पूरी तरह तनावपूर्ण हो गया ,जिसको सम्हालने में पुलिस प्रशासन के भी पसीने छूट गये और देर रात तक तनाव की स्थिति बनी रही ।
प्रशासन के ढुलमुल रवैये ने बिगाड़ा शहर का माहौल ?!
दरअसल इस पूरे मामले का जिम्मेदार प्रशासन है ,सभी समाज के लोगों को पता था कि अंनत चतुर्दशी ,जैन पर्यूषण पर्व और ईद जैसे त्यौहार एक ही दिन हैं ऐसे में प्रशासन ने इन त्यौहारों के मात्र एक दिन पूर्व वो भी दोपहर के बाद शान्ति समिति की बैठक आयोजित की और उस बैठक में गणेश विजर्सन की तिथि मार्ग को लेकर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया।
दूसरा जब ईद की तैयारी के नाम पर बुधवार को मुख्यमार्ग पर अवांछित साज सज्जा की जा रही थी उस समय तक जिला प्रशासन मूक दर्शक की भूमिका था ।
जबकि मंगलवार देर रात कोतवाली चौक में आधी रात को तिरंगा झंडा लगाने को लेकर तनाव की स्थिति निर्मित हो चुकी थी उसके बाद भी न तो जिला प्रशासन न ही पुलिस प्रशासन ने आवश्यक कदम उठाए ,बल्कि तनाव को बढ़ाने का कार्य किया।
त्यौहारों में साज सज्जा स्वाभाविक प्रक्रिया है परन्तु तब तक ही जबतक ये दूसरे के लिये परेशानी का सबब न बन जाये ।